रायपुर। संसदीय सचिव युवा विधायक विकास उपाध्याय का हर अंदाज ही अलग है,कांग्रेस का झंडा लगा हुआ ट्रैक्टर वह भी हल लगा हुआ बीच सड़क पर दौड़ते देखकर लोग सहज ही चौंक जा रहे थे लेकिन जब उन्हे समझ आया कि आज विधानसभा का विशेष सत्र शुरू हो रहा है वे सारा माजरा समझ गए। विकास ने कहा कि मोदी सरकार की नियत में खोट है तभी तो किसान विरोधी बिल उन्होने प्रस्तावित किया है। सही मायनों में छग की भूपेश सरकार किसान हितैषी है और उनके लिए कोई भी लड़ाई लडऩे वे तैयार हैं।
उपाध्याय ने कहा,विधानसभा में पारित भूपेश सरकार के नए कृषि कानून को अन्तत: राज्यपाल और राष्ट्रपति को मंजूर करना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा अनुच्छेद 200 के अनुसार राज्य विधानसभा में पारित कानून को राज्यपाल 14 दिनों से ज्यादा लंबित नहीं रख सकता वह स्वीकृति देगा,पुनर्विचार के लिए लौटाएगा या फिर राष्ट्रपति की अनुमति के लिए आरक्षित रखेगा।विकास ने आगे कहा,यदि लौटता है तो राज्य विधानमंडल पुन: उसे पारित कर राज्यपाल को सहमति के लिए भेजेगा एवं राज्यपाल तब सहमति देने बाध्य होंगे। यदि राष्ट्रपति के पास राज्यपाल द्वारा आरक्षित कर भेजा जाता है तो राष्ट्रपति राज्यपाल को इस आदेश के साथ वापस करते है कि उसे पुन: विधानसभा में रखा जावे। ऐसी स्थिति में बगैर विधानसभा में भेजे राज्यपाल को अनुमति देना ही पड़ेगा.
उपाध्याय ने कहा, मोदी सरकार ने मूल्य आधारित बिक्री संवर्धन शब्द जोड़कर उसका विस्तार के लिए मूल्य आश्वासन पर किसान बंदोबस्त और बिक्री पूर्व सुरक्षा, समझौता और कृषि सेवा बिल 2020 पारित करवा लिया। अर्थात अब व्यापारी किसी किसान से फसल होने के पूर्व ही उससे समझौता करके पैसा ले लेगा।इस तरह इस नए कानून के लागू हो जाने से किसानों को फसल पकने के पहले ही व्यापारी का गुलाम बनवा दिया है। पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है अब ज्यादा क्या कहें उनकी सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल तक तक ने उनका साथ छोड़ दिया है। फिर भी मोदी सरकार अडिय़ल रवैया नहीं छोड़ रही।