कहते हैं कि, कोई भी कार्य ऑनलाइन करने से समय की बचत होती है पर देखने में यह आया कि ऑनलाइन चॉइस सेंटर से मूल निवास, आय प्रमाण पत्र , जाति प्रमाण पत्र इत्यादि बनाने में भी कम से बहुत समय लगता है| जिसके कारण इसकी ऑनलाइन प्रक्रिया का कोई महत्व नहीं रह जाता | लोगों का कहना हैं कि, ऑनलाइन और ऑफलाइन में अंतर क्या हैं जब आवेदकों को इंतजार ही करना हैं तो , क्योंकि ऑफलाइन प्रक्रिया में सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते है और ऑनलाइन प्रक्रिया में लोक सेवा केन्द्रों में इंतजार करना पड़ता है | यानी दस्तावेज जमा कीजिए और इंतजार कीजिए क्योंकि विभाग के अधिकारियों के पास पहले से ही दर्जनों फाइले पेंडिंग पड़ी होती है | और समय उतना ही लगता हैं, कुछ मामलों में ज्यादा भी | कुल मिलाकर कान यहां से पकड़े या वहां से बात एक ही है |
क्या ? आवेदकों को सुविधा हों इसके लिए उक्त विविध कार्यों के लिए विभाग को पृथक से अधिकारी नियुक्त नहीं करने चाहिए ताकि वह मुख्य रूप से यही कार्य करें| क्योंकि अधिकतर राजस्व अधिकारी मामलों के चलते इन फाइलों में केवल हस्ताक्षर करने में भी लम्बा समय लेते हैं | जिससे आवेदकों को बड़ी परेशानी होती हैं | और आवेदक अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं |
देवेन्द्र प्रताप शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार