संवाददाता - सुनील सोनी
रायपुर। गुरुवार 22 दिसंबर को सर्व आदिवासी समाज के द्वारा प्रेस वार्ता किया गया। जिसमे उन्होंने यह बताया कि विधानसभा द्वारा पारित आदिवासी समाज को मिलने वाले 32 प्रतिशत आरक्षण कानून के संकल्प पर महामहिम राज्यपाल महोदया के द्वारा अनुमोदन हेतु हस्ताक्षर नहीं किया जाना आदिवासी हितों पर कुठाराघात है। महामहिम राज्यपाल के बिलंब के कारण माननीय उच्च न्यायलय बिलासपुर द्वारा पुराने आरक्षण नियम के हिसाब से विभिन्न उपक्रमों में भर्ती किये जाने हेतु आदेश जारी किया गया है। जिसके कारण आदिवासी समाज को आरक्षण के संबंध में बहुत भारी नुक्सान का सामना करना पड़ेगा। अनावश्यक विलंब के कारण आदिवासी समाज बहुत आक्रोषित है आंदोलित है और अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। संवैधानिक रक्षा के लिए संकल्पित आदिवासी हितों को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग निवेदन करता है कि महामहिम राज्यपाल के द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में दिनांक 02 दिसम्बर 2022 को विधानसभा में पारित इस ऐतिहासिक संकल्प पत्र पर तत्काल अनुमोदन हस्ताक्षर कर इसे कानून का रूप देने में मदद करें। साथ ही नौवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु तुरंत इस संकल्प पत्र को महामहिम राष्ट्रपति महोदया को भेजें। महामहिम राज्यपाल महोदया के द्वारा इस विधेयक पर तीन दिवस के भीतर अनुमोदन हस्ताक्षर नहीं करने की स्थिति में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग छत्तीसगढ़ राजभवन का घेराव करने बाध्य होगा।