REPORTER - SUNIL SONI
रायपुर/ छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन से संबद्ध 12 संगठनों द्वारा वेतन विसंगति सहित 5 सूत्रीय जायज मांगों को लेकर 21 अगस्त से शासन को विधिवत सूचना देकर अनिश्चितकालीन आंदोलन पर है। आंदोलन में शामिल स्वास्थ्य चिकित्सक, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक ( ए. एन. एम. / एम. पी. डब्ल्यू.) एवं नर्सिग संवर्ग से जूड़े समस्त कर्मचारी संगठन लगातार शासन को अनेक बार आवेदन निवेदन व उच्च पदस्थ अधिकारियों से समक्ष भेंटकर निराकरण करने हेतु अनुरोध करते आ रहे। विभाग के द्वारा किसी भी तरह की सुनवाई नहीं होने पर लोकतांत्रिक तरीके से उन्हें आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
इन संगठनों के द्वारा पूर्व में किये गये आंदोलन को संज्ञान में लेते हुए शासन स्तर पर कमेटी भी बनाई गई है। लेकिन कमेटी द्वारा आज तक रिपोर्ट को शासन को नहीं सौपी गई है। प्रदेश की आम जनता भली भांति जानती है कि वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश के चिकित्सक, नर्सिंग संवर्ग एवं ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों ने अपनी जान को जोखिम में डालकर लाखो लोगो की जान बचाये थे।
प्रदेश के अनेक स्वास्थ्य कर्मी आम लोगों की सेवा करते हुए कोरोना से संकमित होकर इस दुनिया से चले भी गये। प्रदेशभर में कोरोना योद्वाओं के सम्मान में फूलों की वर्षा कर तालियां बजाकर जगह-जगह सम्मान दिया गया था। शासन द्वारा कोरोना योद्वाओं के सम्मान में कई वादे भी किये गये, लेकिन ये वादे सिर्फ कागजी कार्यवाही तक सिमट कर रह गये। प्रदेश सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन से संवाद कर मांगों के निराकरण करने के बजाय ऐसे कोरोना योद्धाओं के खिलाफ एस्मा कानून के तहत निलंबन, बर्खास्तगी एव एफ.आई.आर. की कार्यवाही की जा रही है। सरकार द्वारा इस तरह की दमनात्मक कार्यवाही से आम लोगो में आकोश भी बढ़ते जा रहा है। छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ इस तरह की कार्यवाही की घोर निंदा करता है। और छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ प्रदेश के छत्तीसगढ़िया एवं संवेदनशील मुख्यमंत्री से अनुरोध करता है कि छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन के हड़ताली कर्मचारियों के विरूद्ध की गई दमनात्मक कार्यवाही को वापस लेते हुए परस्पर संवाद के माध्यम से सभी जायज मांगों के समाधान करने हेतु यथाशीघ्र आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करेंगे ।