window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-YRJD2FN4QJ'); छत्तीसगढ़ में घरेलू हिंसा और महिला सुरक्षा हेतु "जेंडर रिसोर्स सेंटर - कार्यप्रणाली और कार्ययोजना" पर विशेष कार्यशाला संपन्न

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छत्तीसगढ़ में घरेलू हिंसा और महिला सुरक्षा हेतु "जेंडर रिसोर्स सेंटर - कार्यप्रणाली और कार्ययोजना" पर विशेष कार्यशाला संपन्न

 


रायपुर/ छत्तीसगढ़ में महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से चैतन्य संस्था द्वारा 9 नवंबर 2024 को एक विशेष परामर्श कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का विषय "जेंडर रिसोर्स सेंटर - कार्यप्रणाली और कार्ययोजना" था, जिसका मुख्य उद्देश्य घरेलू हिंसा के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना और स्कूलों में विद्यार्थियों को जेंडर के प्रति अधिक संवेदनशील बनाना था।

कार्यशाला का उद्देश्य:

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों को प्रभावी रूप से सुलझाने के लिए जेंडर रिसोर्स सेंटर की कार्यप्रणाली को और सुदृढ़ करना था। चैतन्य संस्था और वाइज संस्था द्वारा प्रशिक्षित जेंडर रिसोर्स सेंटरों के माध्यम से परामर्श प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए पुलिस, महिला बाल विकास विभाग, और पंचायती राज विभाग के सुझावों को एकीकृत करने पर विशेष जोर दिया गया।


प्रमुख अतिथि और उद्घाटन:

इस कार्यशाला का उद्घाटन छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग की डीआईजी मिलना कुर्रे और छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (सीजीएसआरएलएम) के प्रबंध निदेशक रविन्द्र जायसवाल द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन भाषण में डीआईजी मिलना कुर्रे ने महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और जेंडर के मुद्दों पर बच्चों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जेंडर समानता के लिए पुरुषों को भी शामिल करना जरूरी है, और जब सभी विभाग समन्वित रूप से काम करेंगे, तभी सामाजिक सोच में बदलाव लाया जा सकेगा।

रवीन्द्र जायसवाल इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं के प्रति भेदभाव हमारे समाज के व्यवहार और विचारों में गहराई तक समाया हुआ है, जिसे महिलाओं ने भी आत्मसात कर लिया है। इसे बदलने के लिए सबसे पहले हमें अपने विचारों में परिवर्तन लाना आवश्यक है।

चैतन्य संस्था का परिचय और योगदान

कार्यशाला के दौरान चैतन्य वाइज संस्था की कार्यकारी निदेशक कल्पना पन्त ने बताया कि 2022 में पुलिस और बिहान कार्यक्रम के साथ मिलकर भी एक कार्यशाला आयोजित की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप तीन पुलिस थानों (बिरेझार, बखरा और कुरूद) में जेंडर रिसोर्स सेंटर स्थापित किए गए थे। इसके अतिरिक्त, 25 अन्य जेंडर रिसोर्स सेंटर भी बिहान द्वारा विभिन्न जिलों में स्थापित किए गए हैं, जहाँ जेंडर समानता और घरेलू हिंसा के मुद्दों पर काम हो रहा है। इन केंद्रों के माध्यम से पिछले कुछ वर्षों में 750 से अधिक घरेलू हिंसा के मामलों को दर्ज किया गया, जिनमें से 75% मामलों का समाधान पुलिस और न्यायालय में गए बिना किया गया है।

विशेष सत्र और फिल्म प्रदर्शन

कार्यशाला में "पहल - एक नई दिशा की ओर" नामक फिल्म का उद्घाटन डीआईजी मिलना कुर्रे और रविन्द्र जायसवाल द्वारा किया गया। इस फिल्म में जेंडर रिसोर्स सेंटरों द्वारा घरेलू हिंसा के मामलों को कैसे सुलझाया जाता है और इसमें विभिन्न विभागों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

शोध पत्र और जेंडर ट्रांसफॉर्मेटिव दृष्टिकोण

टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (TISS), हैदराबाद के पब्लिक पॉलिसी और गवर्नेंस सेंटर के विद्यार्थियों ने एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें जेंडर ट्रांसफॉर्मेटिव दृष्टिकोण पर आधारित सिफारिशें दी गईं। उन्होंने जेंडर रिसोर्स सेंटर की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन करते हुए यह बताया कि किस प्रकार परामर्शदाताओं की क्षमता को और सशक्त किया जा सकता है। उन्होंने एक व्यवस्थित ढांचा प्रस्तुत किया, जिसमें तकनीकी एकीकरण, स्पष्ट कार्ययोजना, और परामर्श के बाद समर्थन जैसी बातें शामिल थीं।

लक्ष्मी लिंगम का विशेष संबोधन

लक्ष्मी लिंगम, जो TISS हैदराबाद की पूर्व डिप्टी डायरेक्टर रह चुकी हैं, ने घरेलू हिंसा के पीछे की सामाजिक और पितृसत्तात्मक संरचनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुझाव दिया कि शराब की लत या अन्य बाहरी कारणों को दोष देने के बजाय हमें इस समस्या की गहराई में जाकर इसका समाधान ढूंढने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सखी केंद्रों के गंभीर मामलों को सुलझाने से पहले जेंडर रिसोर्स सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

महिला बाल विकास और आजीविका पर जोर

महिला बाल विकास विभाग के अभय सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि महिला हिंसा को रोकने के लिए महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण और स्वावलंबी होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बिहान कार्यक्रम के माध्यम से आजीविका में वृद्धि और महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई जा रही हैं, जो हिंसा की जड़ तक पहुँचने में सहायक हो सकती हैं। डॉ. सुधा कोठारी, चैतन्य की मैनेजिंग ट्रस्टी, ने महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने और उन्हें निर्भीक रूप से अपनी बात रखने के लिए स्वयं सहायता समूहों और संघों की महत्ता पर जोर दिया।

कार्यशाला का समापन

कार्यशाला का समापन चैतन्य संस्था की राज्य समन्वयक सुधा कडव द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव और प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रदर्शन के साथ हुआ। उन्होंने कार्यशाला की सफलता पर संतोष जताया और कहा कि इस तरह के प्रयास छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

इस कार्यशाला ने महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान की है और राज्य में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।